पहली तस्वीर-
सैन्य ठिकाने पर आतंकी हमले के बाद जम्मू कश्मीर विधानसभा में जमकर हंगामा हुआ, इसी दौरान BJP विधायक पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाते हैं तो वहीं नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता अकबर लोन (Mohammad Akbar Lone) पाक जिंदाबाद के नारे लगाते हैं। लोन इस बात को कबूल भी करते हैं, “हां ये सच है कि मैंने नारे लगाए और ये मेरा निजी मामला है। मुझे नहीं लगता कि इससे किसी को दिक्कत होगी।’
Yes, I said it. It is my personal view, I said it in the house and I don't think anyone should have a problem with it: National Conference MLA Akbar Lone on shouting 'Pakistan Zindabad' in J&K Assembly pic.twitter.com/JbiwNui0kj
— ANI (@ANI) February 10, 2018
दूसरी तस्वीर-
एक प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी में कुछ छात्र कथित तौर पर देश विरोधी नारे लगाते हैं और ये मुद्दा महीनों मीडिया में घूमता रहता है सभी पार्टियां इसे भुनाती हैं, सरकार भी एक्शन में आती है और छात्रों के खिलाफ देशद्रोह का केस दर्ज किया जाता है, केस अदालत पहुंचता है और अभी तक इस पर कोई फैसला नहीं आया है ना ही यह साबित हुआ है कि जिन छात्रों पर देशद्रोह का केस दर्ज हुआ है उन्होंने देश विरोधी नाए लगाए भी थे या नहीं।
दोनों तस्वीरों में बतायी गई घटनाओं में बस जगह अलग-अलग है वहां पर मौजूद लोग अलग-अलग हैं बाकि काम दोनों एक जैसा ही कर रहे हैं, दोनों ही देश विरोधी नारे लगा रहे हैं। हां एक फर्क और है दोनों जगह कि एक तरफ यूनिवर्सिटी के कम अनुभवी छात्र हैं तो वहीं दूसरी तरफ जनता द्वारा चुने गए जिम्मेदार नेता। जिनसे हम थोड़ी अधिक देशभक्ति की उम्मीद तो कर ही सकते हैं। लेकिन नहीं सारी देशभक्ति की उम्मीद JNU के छात्रों से ही की जा रही है।
शायद इसीलिए दोनों के साथ किया गया सुलूक भी अलग-अलग है जहां एक तरफ JNU के छात्रों को पूरे देश में बदनाम होने से लेकर कानूनी कार्रवाई तक का सामना करना पड़ा जबकि वे लगातार मना करते रहे कि हमने कोई देश विरोधी नारे नहीं लगाए। वहीं दूसरी तरफ नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता इस सबसे बच गए जबकि उन्होंने खुद कबूल भी किया कि उन्होंने देश विरोधी नारे लगाए। हांलाकि सदन में पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगने पर तीखी प्रतिक्रियाओं से घिरी नेशनल कॉन्फ्रेंस ने विधायक के इस बयान से खुद को अलग कर लिया है। पार्टी ने विधायक के इस बयान की निंदा भी की है। पार्टी प्रवक्ता जुनैद अजीम मट्टू ने कहा कि पार्टी के लिए सदन में विधायक की तरफ से लगाया गया यह नारा पूरी तरह से अस्वीकार्य है।
लेकिन सवाल अब भी वही है कि एक जैसे काम के लिए दो लोगों की सजाएं अलग-अलग क्यों हैं?
एक पर कानूनी कार्रवाई समेत पूरे देश में बदनामी और दूसरे में सिर्फ निंदा ये कितना सही है?
क्या ऐसा करने से छात्रों में देश के कानून के प्रति होने वाले भरोसे में कुछ कमी नहीं आएगी?
क्या उन छात्रों को समझाने का कोई और तरीका नहीं था? क्या उनसे छात्र होने के नाते थोड़ी नरमी नहीं दिखाई जा सकती थी?
ये वो सवाल हैं जिनके जवाब हमें तलाश करने ही होंगे नहीं तो छात्रों में समाज के प्रति नजरिया नकारात्मक रुप में बदलेगा और कानून में भरोसा भी कम होता जाएगा और इसके जिम्मेदार आप, मैं और हम सब होंगे।
नोट: इस लेख को Saurabh Yadav ने हमारे प्लेटफॉर्म पर लिखा है और पेशे से ये एक पत्रकार हैं। यदि आप भी कुछ लिखना चाहते हैं तो फेसबुक पर मैसेज में या theindianclick@gmail.com पर हमें मेल भेज सकते हैं।