हमारे देश में लड़कियों को आज भी बोझ समझा जाता है. कई परिवारों में आज भी लड़कियों की भ्रूण में ही हत्या कर दी जाती है. इतने आंदोलन, स्कीम्स के बाद भी, आज भी कई जगह लड़की पैदा होते ही मार दी जाती है या फेंक दी जाती है.
वक़्त-बेवक़्त बच्चियों और महिलाओं ने अपने दम पर ये साबित किया है कि अगर उनको जीने दिया जाये तो वो दुनिया बदल सकती हैं.

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मिलिये सुषमा वर्मा से
2016 में विश्वविद्यालय 7 साल की उम्र में जब हम गणित के मुश्किल सवाल हल करना शुरू ही किया था तब सुषमा ने 10वीं पास कर ली थी. 2010 में महज़ 10 साल की उम्र में उत्तर प्रदेश बोर्ड से 12वीं की पढ़ाई भी पूरी कर ली.

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राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने की थी तारीफ़
सन् 2017 में 17 साल की उम्र में सुषमा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिली. रामनाथ कोविंद ने उसके लिए ‘Extraordinary’ शब्द का इस्तेमाल किया. अप्रैल 2017 में सुषमा को UGC का स्वामी विवेकानंद गर्ल चाइल्ड स्कॉलरशिप मिला.
मेहनत और क़ाबिलियत से सुषमा ने जो कर दिखाया उसकी जितनी तारीफ़ की जाए कम है.