यूं तो हमें अपने इंडियन आर्मी (भारतीय सेना) पर गर्व हैं या यूं कहें कि देश के उन सभी जवानों पर गर्व है, जो ईमानदारी से अपने देश की रक्षा करते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि हमारे इंडियन आर्मी के पास कुछ ऐसे स्पेशल कमांडो फोर्सेज हैं जो दुश्मन को पलभर में नेस्तनाबूद कर सकते हैं…
एलीट पैराकमांडोज
Indian Army के इस यूनिट में कुछ हजार स्पेशल ट्रेन्ड कमांडोज शामिल होते हैं। यह कमांडोज पैराशूट रेजिमेंट के हिस्सा होते हैं। इसमें स्पेशल फोर्स की सात बटालियंस शामिल हैं। इस कमांडो यूनिट को भारत-पाकिस्तान के बीच 1965 में हुई युद्ध के दौरान बनाया गया था। बता दें कि Indian Army के ये ट्रेंड कमांडोज दुश्मनों को गुमराह करने के लिए एक स्पेशल ड्रेस का इस्तेमाल करते हैं। इस ड्रेस में हल्का रंग रेगिस्तान में और इसका गहरा रंग हरियाली या जंगलों के बीच कमांडोज को छिपने में मदद करता है। ये फोर्स पर्पल कलर के बैरेट पहनते हैं और इजराइली Tavor असॉल्ट राइफल लेकर चलते हैं, जो इन्हें अलग बनाती है।
नेशनल सिक्योरिटी गार्ड
NSG देश के सबसे अहम कमांडो फोर्स में से एक है जो होम मिनिस्ट्री के अंदर काम करते हैं। NSG कमांडोज को देश के अंदर आतंकी हमले के दौरान उनसे लड़ने के लिए तैयार किया गया है। साल 2008 में 26/11 मुंबई हमले के दौरान NSG के कमांडोज ने ही अंतिम मोर्चा संभाला था, जिन्हें उनकी भूमिका के लिए सराहा गया था। इसके अलावा, इन कमांडोज का इस्तेमाल VIP सुरक्षा, बम निरोधक और एंटी हाइजैकिंग के लिए भी खासतौर से इस्तेमाल किया जाता है। इनमें Indian Army के साथ-साथ दूसरे फोर्सेज के लड़ाके शामिल किए जाते हैं। NSG कमांडोज को फुर्ती और तेजी के लिए जाना जाता है इसलिए इन्हें ब्लैक कैट भी कहा जाता है।
स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (SPG)
SPG को भारत के प्रधानमंत्री की सुरक्षा के लिए खासतौर पर तैयार किया गया है। इन कमांडोज को हमेशा ब्लैक सूट या सफारी सूट में देखा जाता है लेकिन कुछ खास मौकों पर इन्हें बंदूकों के साथ ब्लैक ड्रेस में भी देखा जाता है। इस स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद साल 1985 में बनाया गया था। ये कमांडोज अब प्रधानमंत्री व पूर्व प्रधानमंत्री और उनके परिवार को सुरक्षा मुहैया कराते हैं।
इंडियन नेवी के स्पेशल मरीन कमांडो ‘मार्कोस’
ये Indian Navy के स्पेशल कमांडोज होते हैं। इन मरीन कमांडोज को 1987 में बनाया गया था और इन्हें आम नजरों से बचाकर रखा गया है। इन मरीन कमांडोज को जल, थल और हवा में लड़ने के लिए स्पेशल ट्रेनिंग दी जाती है। मार्कोस का निकनेम ‘मगरमच्छ’ है और इन्हें समुद्री मिशन में महारत हासिल है। 26/11 मुंबई हमले में ऑपरेशन साइक्लोन के तहत आतंकियों से निपटने में मार्कोस का खास योगदान था।
एयरफोर्स की गरुड़ कमांडो फोर्स
Indian Air Force ने साल 2004 में अपने एयर बेस की सुरक्षा के लिए गरुड़ कमांडो फोर्स को बनाया था। गरुड़ फोर्स को जंग के दौरान दुश्मन की सीमा के पीछे काम करने की भी ट्रेनिंग दी गई है। इन्हें आर्मी पैराकमांडोज और नेवी के ‘मार्कोस’ जैसी ट्रेनिंग दी जाती है। ये कमांडोज ब्लैक टोपी पहनते हैं, हालांकि इन्होंने अभी तक कोई बड़ी लड़ाई नहीं लड़ी है।
CRPF की कमांडो फोर्स कोबरा
सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स की कमांडो फोर्स COBRA (कमांडो बटालियन फॉर रिज्योल्यूट एक्शन) को देश में नक्सल समस्या से लड़ने के लिए बनाई गई है। इन्हें दुनिया के बेस्ट पैरामिलिट्री फोर्सेज में से एक माना जाता है। कोबरा को स्पेशल गोरिल्ला ट्रेनिंग दी जाती है। CRPF की इस कमांडो फोर्स को देश की राजधानी दिल्ली में संसद और राष्ट्रपति भवन की सुरक्षा के लिए भी इन्हें तैनात किया गया है।
इंडो तिब्बत बॉर्डर पुलिस
ITBP (इंडो तिब्बत बॉर्डर पुलिस) के स्पेशल कमांडोज ने साल 2008 के 26/11 मुंबई आतंकी हमले के बाद जिंदा पकड़े गए आतंकी अजमल कसाब को मुंबई जेल में रखने में खास भूमिका निभाई थी। दिल्ली की फेमस तिहाड़ जेल की निगरानी की कमान भी ITBP के पास है। इसके अलावा, ये भारत-चीन बॉर्डर पर भी विशेष निगरानी रखते हैं।
CISF की कमांडो फोर्स
CISF (सेंट्रल इंडस्ट्रियल सिक्योरिटी फोर्स) के कमांडोज को आमतौर पर VVIP, एयरपोर्ट और इंडस्ट्रियल इलाकों के लिए खास तौर पर तैनात किया जाता है। इंटरनैशनल एयरपोर्ट्स जैसे दिल्ली और मुंबई इन्हीं कमांडोज की निगरानी में सुरक्षित रहते हैं। साल 2008 में 26/11 मुंबई हमले के बाद इनका इस्तेमाल प्राइवेट सेक्टर की सिक्योरिटी के लिए भी होने लगा है। CISF का खुद का एक स्पेशल फायर विंग है, यह फोर्स देश की राजधानी में दिल्ली मेट्रो की सुरक्षा भी करती है।